पिछले दिनों नगर निगम ने आनंद भवन पर 4.36 करोड़ रुपये का गृहकर लगाकर नोटिस जारी किया था। यह मामला सुर्खियों में आया तो प्रयागराज से दिल्ली तक खलबली मच गई। भारी भरकम बिल देखकर आनंद भवन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पहले जांच की मांग की। अब उन्होंने इसे माफ करने की मांग की है।
वर्ष 2003 से पहले तक आनंद भवन ट्रस्ट हर साल नगर निगम को 600 रुपये के हिसाब से गृहकर जमा करता था। 2003 के बाद गृहकर का पुनर्मूल्यांकन किया गया। उसके बाद आनंद भवन, संग्रहालय और तारामंडल का गृहकर बढ़ गया। वर्ष 2009-10 में ब्याज समेत कुल गृहकर 1,23,18,602 रुपये हो गया। 2013-14 में फिर गृहकर बढ़ाया गया। बकाया राशि 2,40,78,763 रुपये हो गई, जो अब धनराशि बढ़कर 4,36,23,979 रुपये तक पहुंच चुकी है। जब आनंद भवन ट्रस्ट के पास भारी भरकम बिल पहुंचा तो पदाधिकारियों की परेशानी बढ़ गई। पदाधिकारियों ने नगर निगम के अफसरों से कहा कि फिर से इसकी जांच की जाए। कहा है कि यह देश की धरोहर है और इसका कामर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इसलिए उनका टैक्स माफ किया जाय।