चम्बल में डॉल्फिनों का कुनबा बढ़ा

औरैया । चम्बल सेंचुरी में डॉल्फिन की संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ गई है। वर्ष 2018 में यहां 161 डॉल्फिन थीं। वहीं इस साल यह बढ़कर175 हो गई हैं। एनजीटी के सख्त रुख और नदी सफाई का ठीक से क्रियान्वय से यह बढ़ोतरी सुखद बदलाव का संकेत दी रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2012 में चम्बल सहित देश की प्रमुख नदियों के जल की गुणवत्ता की पड़ताल में जलीय जीवों के अस्तित्व को लेकर खुली चेतावनी दी थी। जिस पर अमल का असर कहें या आमजन में पर्यावरण के प्रति बदलते मापदण्ड जो चम्बल में सुखद बदलाव का संकेत दे रहा है। वर्ष 2012 में आयी एक रिपोर्ट में चम्बल और यमुना के जल आर्सेनिक पदार्थों की बढ़ती मात्रा ने जलीय जीवों पर संकट खड़ा कर दिया था, जिससे निपटने के लिए शहरो से गिरने वाले दूषित नालों पर पूर्ण प्रतिबंध ने सकारत्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं, फिलहाल जो भी हो जनपद औरैया की दक्षिण सीमा सटे पंचनद इलाके में चम्बल की नीलवर्ण धरा में डॉल्फिनों की उछल कूद हर आने बाले को अपनी ओर खींच रही है।


वर्ष 1978 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर चम्बल में राजस्थान के कोटा से लेकर आगरा होते हुए जनपद की दक्षिणी सीमा तक 2100 वर्गमील जलीय क्षेत्र को राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी घोषित किया था। जिसमे घड़ियालों, मगरमच्छों, कछुओं और डॉल्फिनों को संरक्षित करने का कार्यक्रम शुरु हुआ था। ऐसे मंडराया खतरा विशेषज्ञों के मुताबिक, जल प्रदूषण के कारण पानी की गुणवत्ता पर आर्सेनिक पदार्थों में फ्लोराइड तत्वों की उपस्थिति जलीय जीवों के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हुई, जिसके चलते इनकी प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा। प्रायः आर्सेनिक पदार्थों के जल में आने के कारण महानगरीय कचरे का आना था। ऐसे बढ़ रहा कुनबा वर्ष संख्या 2017 -155. 2018 -161, 2019- 175 /

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