कौमी एकता सप्ताह के तहत कमजोर वर्ग दिवस आयोजित किया गया। इसमें देश और समाज के कमजोर वर्गो को मुख्यधारा में लाने और उनसे भेदभाव न करने पर जोर दिया गया। कहा गया कि वे भी हम सब की तरह हैं, बस उन्हें साथ रखकर मनोबल बढ़ाना होगा। मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. पीएन डोंगरे ने कौमी एकता सप्ताह मनाने की आवश्यकता एवं सार्थकता पर सुविचारित व्याख्यान दिया। कहा कि भारत बहुलतावादी संस्कृति का देश है। जहां विभिन्न भाषा-भाषी और धर्म, जाति, सांप्रदाय के लोग रहते हें। किंतु, इस विविधता के बावजूद आपसी सामंजस्य, प्रेम एवं समरसता हमारी विशेषता है। भारतीय संविधान देश के समग्र विकास के लिए हशिए पर खड़े समाज के अंतिम व्यक्ति को भी विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए कृत संकल्पित है। यही कारण है कि यहां पर दलित, शोषित एवं कमजोर वर्गो को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष संवैधानिक उपचारों का प्रावधान किया गया है।कार्यक्रम में डॉ. सर्वेशा नंद ने अपने शेर 'गर सभी के दिलों में सच्चाई रहे-मुल्क में फिर कहीं क्यूं बुराई रहे सुनाया। इस मौके पर डॉ. महेंद्र कुमार, डॉ. अमित गोयल ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य ने सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया। दिवस विषय पर आयोजित रंगोली प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को रोवर्स-रेंजर्स प्रभारी डॉ. रविंद्र कुमार, डॉ. नीलम कुमारी ने प्रमाण पत्र वितरित किया। इस मौके पर डॉ. प्रीती कुमारी, डॉ. कामिनी वर्मा, डॉ. जेएस नौलसा, डॉ. आलिया रिफत, डॉ. अंजना, डॉ. विनय मिश्रा, डॉ. माला श्रीवास्तव रहे।
मुख्य धारा में लाने को कृत संकल्प है संविधान