निष्काम मन से प्रभु का भजन करने वाले भक्तों को ही प्रभु अपनाते हैं। इसलिए हमें प्रभु की साधना ऐसे ही करनी चाहिए जिससे अपनत्व का भाव आए। यह उद्गार नवाबगंज क्षेत्र के देवापुर गांव में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में जगद्गुरु द्वाराचार्य श्रीमलूक पीठाधीश्वर डॉ.राजेंद्र दास देवाचार्य जी ने व्यक्त किए। भागवत कथा के पूर्व आयोजक मनोज पांडेय ने शुकदेव स्वरूप कथा व्यास का माला पहनाकर स्वागत किया।
कथाव्यास ने गुरु परंपरा, अजामिल चरित्र, प्रहलाद चरित्र, वामन भगवान के द्वारा बली उद्धार और एकादशी महात्म्य पर विशेष रूप से चर्चा करते हुए भगवान के अलावा विभिन्न अवतारों पर जोर देते हुए कहा कि परीक्षित जी श्रवणभक्ति के आचार्य हैं। उन्होंने लोक कल्याण के कई समाधान शुकदेव महाराज से श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कहलवाए। अंत में उन्होंने भक्तों को गो सेवा का संकल्प दिलाया। कथा विश्राम होने पर मुख्य यजमान पुष्प लता पांडेय और कृष्ण चाकर जी ने व्यासपीठ, व्यासजी, रानीखेत से आए मौनी बाबा और सीताराम बाबा को माल्यार्पण करने के साथ ही भागवत महापुराण की आरती भी उतारी। उपस्थित लोगों ने जमकर ताली बजाते हुए आरती गाई।
अयोध्या, वृंदावन और काशी के संतों का जमावड़ा
देवापुर में चल रही श्रीमलूक पीठाधीश्वर द्वारा कही जा रही भागवत कथा में अयोध्या, वृंदावन और काशी के दर्जनों संत, महात्मा पहुंचे हैं। आयोजक मनोज पांडेय ने बताया कि प्रेमदास मौनी बाबा रानीखेत, ब्रह्मचारी अंकित जी अयोध्या, युवराजजी, महामंडलेश्वर गोवर्धन राघवेन्द्र दास महाराज, महंत शिवराम दास महाराज वृंदावन, त्यागी महाराज, पंजबा पिंडोरीधाम से रामतीरथ दास महाराज, आचार्य प्रवीण काशी के अलावा वृंदावन से आए संतों में भागवत मार्तण्ड धनंजय दास, गोविंद दास, अनुराग दास आदि शामिल हैं।