ज्ञानपुर (भदोही) : रबी अभियान की प्रमुख गेहूं फसल की बोआई शुरू हो चुकी है। इसी के साथ उर्वरक (डीएपी) को लेकर संकट गहराने लगा है। साधन सहकारी समितियों पर उर्वरक की उपलब्धता को लेकर भले ही तमाम दावे हो रहे हैं। अधिकारियों की ओर से किसी तरह की दिक्कत न आने देने की बात कही जा रही है कितु जिले में डीएपी के निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष 50 फीसद ही आमद होने से किसानों को डीएपी को लेकर परेशान होना पड़ रहा है। किसान समितियों का चक्कर काटने के साथ खुले बाजार से महंगे दर पर डीएपी लेने को विवश होने लगे हैं।किसानों को खाद-बीज की सुविधा देने के लिए जिले में कुल 52 साधन सहकारी समितियों की स्थापना की गई है। इसमें से छह समिति विभिन्न कारणों से बंद हैं तो 44 को संचालित किया जा रहा है। उधर समितियों से उर्वरक वितरण के लिए तय लक्ष्य व उपलब्धता देखी जाय तो रबी अभियान में 3107 मीट्रिक टन डीएपी वितरण का लक्ष्य है। जबकि अभी 1698 मीट्रिक टन डीएपी की ही आमद हो सकी है। ऐसे में कई समितियां खाली पड़ी हैं। किसान समितियों का चक्कर लगाकर निराश होकर वापस लौट रहे हैं। इससे बोआई का कार्य प्रभावित होने के किसान चितित हैं। इसी तरह यूरिया के तय लक्ष्य 7595 के सापेक्ष 2118 मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकी है।समितियों व दुकानों से बिकने वाली डीएपी का मूल्य 12 सौ रुपये बोरी तय की गई है। जबकि यूरिया का रेट 266.50 रुपये निर्धारित है। समितियों पर डीएपी न मिलने से खुले बाजार में दुकानदार 50 से सौ रुपये ज्यादा मूल्य लेकर बिक्री की जा रही हैं। इससे किसानों को परेशानी उठाने के साथ आर्थिक शोषण का भी शिकार होना पड़ रहा है। इन दिनों गेहूं की बोआई का दौर शुरू हो चुका है। डीएपी को लेकर किल्लत है। समितियों पर डाई खाद उपलब्ध न होने से किसानों को प्राइवेट दुकानों का सहारा लेना पड़ा है। जहां महंगी कीमत ली जा रही है तो डीएपी की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़ा रहता है। सरकार को ध्यान देकर पर्याप्त व समय से डीएपी की आपूर्ति करानी चाहिए।
शुरू हुई गेहूं की बोआई, अब खाद की समस्या गहराई